Sitamarhi: सीतामढ़ी के लोगों को इस बात का बेहद मलाल है कि राम जन्मभूमि पर हल्ला मचाने वाले सीता जन्मभूमि पर मौन क्यों हैं, वही रामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर और अयोध्या के विकास पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जगत जननी माता सीता की जन्मभूमि को दुनिया के मानचित्र पर लाने का सरकारी प्रयास तक नहीं किया जा रहा है, वैसे अगर आपका कभी Sitamarhi जाने का प्लान बने तो यहां घूमने का मौका हाथ से बिल्कुल जाने नहीं दीजिएगा।
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको Sitamarhi में घूमने योग्य स्थान और इसके इतिहास के बारे में डिटेल्स से बात करेंगे।
Sitamarhi: का इतिहास
सीतामढ़ी जिसे माता जानकी यानि सीता की जन्मभूमि कहा जाता है, सीतामढ़ी जिला को 11 दिसंबर 1 972 को मुजफ्फरपुर जिले अलग कर के बनाया गया था, यह बिहार के उत्तरी भाग में स्थित है।
Sitamarhi: माता सीता के जन्म से जुड़ा है सीतामढ़ी का नाम
त्रेता युग में मिथिला नरेश राजा जनक के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई वर्षा के अभाव में प्रजा त्राहि-त्राहि कर रही थी. पंडित और पुरोहित के सलाह पर इंद्रदेव को खुश करने के लिए राजा जनक हल लेकर खेतों में जोतने निकल गए. तभी सीतामढ़ी के पुनौरा में भूमि में गड़ा एक घड़ा उनके हल की नोक से टकराया जब उस घड़ा को बाहर निकाला गया तो माता सीता बाल्यावस्था में उन्हें पुत्री के रूप में प्राप्त हुई ,दरअसल हल जोतने के समय जमीन पर जो रेखा बनती है उसे स्थानीय भाषा में सीत कहते हैं और सीत से जन्मी कन्या को सीता कहा गया इसके बाद इंद्र देवता प्रसन्न हुए और जमकर वर्षा होने लगी फिर इसी वर्षा से बच्ची को बचाने के लिए वहाँ आनन-फानन में एक घर के जैसे बनवाया गया जिसे मड़ई कहते हैं, तभी से इस जगह को सीतामड़ई फिर सीतामही और बाद में सीतामढ़ी कहा जाने लगा, जो की वर्तमान में माता जानकी की जन्म स्थली Sitamarhi के नाम से प्रसिद्ध है।
Sitamarhi: घूमने योग्य स्थान
अगर आप माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी घूमने का प्लान कर रहे है, तो घूमने के लिहाज से Sitamarhi को निम्न क्षेत्रों में बांटा जा सकता है।
1. जानकी मंदिर सीतामढ़ी: जानकी मंदिर सीतामढ़ी का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, यह मंदिर सीतामढ़ी शहर के बीचों-बीच में है, यह मंदिर Sitamarhi रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर है, यहां पर आपको एक सुंदर तालाब, राजा जनक को हल चलाते और माता सीता की प्रकट होने का दृश्य युक्त प्रतिमा देख सकते है जो की बेहद ही खूबसूरत है, यहां पर मुख्य गर्भगृह में माता सीता, भगवान राम एवं साथ में लक्ष्मण जी की पुराने काल के प्रतिमाओं के दर्शन करने हेतु मिल जाएंगे, वही मंदिर के पास में ही उर्विजा सरोवर भी आप घूम सकते है, जिसकी खुदाई से यह सभी प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई थी।
2. सीता कुंड: Sitamarhi से करीब 10 किलोमीटर दूर पंथ पाकड़ गांव पड़ता है, यहां सीता कुंड है। मान्यता है कि माता सीता जब रामजी के साथ पहली बार जनकपुर से अयोध्या जा रही थीं, तो यहीं उनकी डोली रुकी थी। माता सीता ने इसी जगह दातून किया था।
3. हलेश्वर स्थान: यह स्थान Sitamarhi से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है, इस स्थान के बारे में बोला जाता है कि मिथिला राज्य में भयंकर अकाल से मुक्ति दिलाने के लिए शिवलिंग की स्थापना कर हलेष्ठि यज्ञ किया था, मंदिर स्थापना के बाद इसे हलेश्वर नाथ महादेव भी कहा जाने लगा, ऐसा माना जाता है कि यहां जलाभिषेक करने वाले लोगों की मनोकामना पूरी होती है, सावन महीने में यहां दूर-दूर से शिव भक्त जल चढ़ाने आते हैं।
Sitamarhi: कैसे पहुंचें सीतामढ़ी
अगर आप सीतामढ़ी घूमने का प्लान कर रहे है तो आप इस तीन मार्ग से वहां पहुँच सकते है।
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे
अगर आपका हवाई मार्ग से सीतामढ़ी आने का प्लान है, तो आपके लिए दरभंगा एयरपोर्ट बेहतर ऑप्शन रहेगा जो कि Sitamarhi से 87km. की दूरी पर है, यहाँ से बस या प्राइवेट टैक्सी ले कर आप सीतामढ़ी पहुँच सकते हैं।
ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे
सीतामढ़ी में रेलवे स्टेशन मौजूद है जो कि पूर्वी मध्य रेलवे रक्सौल-दरभंगा रेल मार्ग पर स्थित है, यहाँ तक सीमित ट्रेनें जाती हैं, आप दरभंगा, मुजफ्फरपुर या फिर पटना रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन देख सकते है, फिर यहाँ से बस या प्राइवेट टैक्सी ले कर आप Sitamarhi पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे
यदि आप सड़क मार्ग से Sitamarhi जाना चाहते है तो आप सड़क मार्ग से भी वहाँ जा सकते है, सीतामढ़ी सड़क मार्ग से भारत के सभी शहरो से जुड़ा हुआ है।
तो पर्यटक इस तरह से सीतामढ़ी,बिहार के खूबसूरती का अनुभव ले सकते हैं ।