Rodbez: जानिए बिहार के 'स्टार्टअप किंग' दिलखुश कुमार की कहानी

Rodbez: दिल्ली में रिक्शा चलाने से ले कर सब्जी बेची और आज हैं करोड़ों की कंपनी के मालिक, जानिए ‘स्टार्टअप किंग’ दिलखुश कुमार की कहानी

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Rodbez: वो कहते हैं ना इंसान अगर अपने मन में कुछ ठान ले तो वह क्या नहीं कर सकता है आज इस कहावत को बिल्कुल सही चरितार्थ किया है बिहार के “स्टार्टअप किंग” कहे जाने वाले दिलखुश कुमार ने बिहार के एक बहुत ही छोटे से गांव सहरसा से आने वाले दिलखुश कभी दिल्ली में रिक्शा खींचने और सभी सब्जी बेचने का काम किया करते थे और आज इन्होंने अपने मेहनत और लगन के दम पर बिहार में करोड़ों की कंपनी (RodBez) खडा कर दिया है, आज वह अपने कंपनी में आईआईटी और आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों से पढ़े छात्र को नौकरी दे रहे हैं। इन्होंने आज साबित कर दिया है कि स्टार्टअप जैसे शब्द अब सिर्फ महानगरों या शहरों के लिए नहीं है अब एक छोटे से गांव के युवा भी स्टार्टअप कर सकते हैं और इस क्षेत्र में तरक्की भी कर सकते हैं।

Rodbez Founder Dilkhush Kumar

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Rodbez: बिहार के स्टार्टअप किंग की कहानी

Rodbez: बिहार के स्टार्टअप किंग कहे जाने वाले दिलखुश कुमार की कहानी बहुत ही प्रेरित करने वाली है क्योंकि वह बिहार के सहरसा जिले में एक बहुत ही छोटे गांव से आते हैं और बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं दिलखुश खुद एक इंटरव्यू में अपनी कहानी कहते हुए इमोशनल हो गए थे उन्होंने बताया था कि कैसे हुए दिल्ली में रिक्शा चलाए फिर सब्जी बची फिर बाद में चपरासी की नौकरी के लिए एक जगह इंटरव्यू देने गया जहां इन्हें देहाती और गवार समझ कर नहीं रखा गया और नौकरी पर भी इसलिए नहीं रखा गया क्योंकि उनको आईफोन का लोगो पहचान के लिए कहा गया था जिसे यह नहीं पहचान पाए क्योंकि इन्होंने आईफोन पहली बार देखा था खैर जो भी वजह रही हो लेकिन इन्हें उसे समय चपरासी तक की नौकरी नहीं मिली लेकिन दिलखुश फिर भी हिम्मत नहीं हर वे मेहनत करते रहे।

दिलखुश ने उसे इंटरव्यू में यह भी बताया था कि जब उनको नौकरी नही मिली तो वो अपने पिताजी से ड्राइविंग सीखा इनके पिताजी ये नहीं चाहते थे की ये ड्राइविंग करें लेकिन मजबूरी में इन्हें ड्राइविंग शुरू करना पड़ा क्योंकि उनकी शादी भी हो चुकी थी और अपने फैमिली का भी ध्यान रखना था, उनसे इंटरव्यू में यह भी पूछा गया था कि उन्होंने पढ़ाई 12th तक ही क्यों की तो उन्होंने यह बताया था कि पैसे के अभाव के कारण वह अपने पढ़ाई को आगे नहीं बढ़ा सके लेकिन आज वह अपने करियर में जहां भी हैं उस से बहुत खुश हैं।

Rodbez कैसे काम करता है?

Rodbez: दिलखुश कुमार कहते हैं कि उनका एक्सपीरियंस ड्राइविंग फील्ड में पहले से ही रहा है और सबसे पहले इन्होंने आर्य गो कैब की नाम से एक कंपनी की शुरुआत की थी जो कि बिहार में ऑलरेडी अच्छा बिजनेस कर रही है फिर उनके दिमाग में रोडवेज कांसेप्ट का आइडिया आया और फिर उन्होंने इस नए वेंचर की शुरुआत की जब इन्होंने रोडवेज स्टार्ट करने के लिए सोचा तो उनके पास सिर्फ एक सेकंड हैंड टाटा का नैनो कर ही था उसी से इन्होंने रोडवेज का शुरूआत किया और करीब 6-7 महीने मेहनत करने के बाद उन्होंने करीब 4 करोड़ के वैल्यूएशन पर पहला फंड रेज किया और धीरे-धीरे रोडवेज को अच्छा रिस्पांस मिलता गया और इतने ही समय में सवा लाख लोगों ने हमारे प्लेटफॉर्म को विजिट किया है।

दिलखुश रोडवेज के जरिए पहले फेज में फिलहाल पटना से बिहार के हर एक गांव तक वन वे टैक्सी सर्विस प्रोवाइड कर रहे हैं दूसरे फेज में इनका प्लान बिहार के हर एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने का भी है अभी फिलहाल इनका विजन बिहार के हर एक गांव को टैक्सी सर्विस से जोड़ देना है और अभी वह बिहार पर फोकस कर चल रहे हैं बाद में वह बिहार से बाहर भी एक्सपेंड करने का सोच रहे हैं।

वही पैसेंजर की सेफ्टी की बात करें तो दिलखुश बताते हैं कि रोडवेज से अगर कोई भी ड्राइवर जुड़ता है तो सबसे पहले डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जाता है और फिर ड्राइवर का केवाईसी करवाया जाता है औरआगे वे आधार ऑथेंटिकेशन की शुरुआत करेंगे इसके बाद सबसे पहले आधार ऑथेंटिक करेंगे तभी ड्राइवर की आईडी एक्टिव हो सकती है वह कहते हैं की सबसे पहले वह पैसेंजर की सेफ्टी का ध्यान रखते हैं।

Rodbez: रोडबेज़ ने शार्क टैंक इंडिया 3 में धूम मचा दी है

Rodbez: अरे ओ टैक्सी वाले भैया दरभंगा जाना है चलीएगा क्या? 4000 रुपया लगेगा, अरे इतना…. जी हां इसी इन्नोवेटिव पिच के जरिए रोडवेज के फाउंडर दिलखुश कुमार और सिद्धार्थ शंकर झा ने शार्क टैंक इंडिया सीजन 3 में एंट्री मारी है जिसका लाइव प्रसारण टीवी पर 22 जनवरी 2024 को किया जाएगा अब देखते हैं दिलखुश जज को इंप्रेस कर पाते हैं या नहीं यह देखने वाली बात है।

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